Last Updated on August 16, 2021, 7:22 PM by team
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने बीमार और उम्रदराज कैदियों की पैरोल, फरलो और अंतरिम जमानत बढ़ाने को लेकर दायर अर्जी का यह कहते हुए निपटान कर दिया कि “क्योंकि इससे संबधित मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है, इसलिए फिलहाल इस याचिका की सुनवाई न्यायोचित नहीं होगी”.
चीफ जस्टिस डी एन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की अगुवाई वाली खंडपीठ ने वकील एवं सोशल एक्टिविस्ट अमित साहनी द्वारा दायर इस याचिका का निपटान किया. चीफ जस्टिस ने मजाकिया लहजे में कहा कि हम आपकी एनर्जी को दोबारा याचिका के लिए बचाना चाहते हैं और याचिकाकर्ता अमित साहनी को लिबर्टी देते हुए कहा कि हालात होने पर वो मुद्दे को लेकर उचित अथॉरिटी को संपर्क कर सकते हैं.
दरअसल, फरवरी में एडवोकेट अमित साहनी द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका लगाई गई थी, जिसमें मांग की गई थी कि बीमार और उम्रदराज कैदियों की पैरोल, फरलो और अंतरिम जमानत की अवधि को बढ़ाई जाए और उन्हें जेल में समर्पण के लिए तभी कहा जाए, जब बाकी सभी कैदी जेल में समर्पण कर दें.
अधिवक्ता अमित साहनी ने कोर्ट में कहा कि पहले सुप्रीम कोर्ट ने कैदियों के श्रेणीबद्ध तरीके में समर्पण करने बारे आदेश पारित किए थे, लेकिन कोविड की दूसरी लहर के चलते जिन कैदियों को पैरोल, फरलो और अंतरिम जमानत इत्यादि मिली थी, उसे 16 जुलाई के आदेश से बढ़ा दिया गया और अगले आदेश तक कैदियों के समर्पण न करवाने बारे निर्देश जारी किए गए.
याचिकाकर्ता ने न्यायालय में कहा था कि दिल्ली की जेलों की क्षमता लगभग 10,000 कैदियों की है और उसमें पैरोल-फरलो पर 4000 रिहा कैदियों को हटाने के बावजूद भी दिल्ली की जेलों में 14,000 कैदी हैं और सोशल डिस्टेंसिंग जेल में कायम करना असंभव है, जिससे दिल्ली की जेलों में स्थिति भयावह हो सकती है.